SATYAMअर्सामचल रही है देखो कैसी तेज़ आवाज़ें , ढूंढ लेती हैं वो हर पलों को समेट लेने , किरायें के घर और पैसो की घाव ने ,1 min read·Jun 19, 2023----
SATYAMहक़आज यह कैसी ताकत बोलेगी , ये जाली समाज अब क्या उगलेगी , बचपन से नहीं यह राज़ खोलेगी, ये आग के गोले में हमें झोलेगी ,2 min read·Jun 13, 2023----
SATYAMयह आकाश बोहोत धीमा सा लगता हैदो वक्त की रोटी के लिए तरस रही वो बच्ची , शायद हीं किसी कोने में उसका घर निर्मित हो , क्या उसकी आशंकाएं उसे वहां जाने से रोक रहीं ? कहीं…1 min read·Apr 24, 2023----